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New MSP For Copra In Cabinet Meeting हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने लाखों किसानों को खुशखबरी दी है. सरकार ने 2024 सीजन के लिए खोपरे (Copra) की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का ऐलान किया है. यह फैसला नारियल बेचने वाले किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगा. आइए इस आर्टिकल में जानें कि खोपरे की एमएसपी में कितनी बढ़ोतरी हुई है और इससे किसानों को क्या फायदा होगा.यह एक काफी डीटेल्ड आर्टिकल होगा जिसमें आपको सारी जानकारी मिलेगी अतः आप इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ें |
खोपरे की एमएसपी में कितनी बढ़ोतरी हुई?
सरकार ने मिलिंग कोपरा की एमएसपी को 10,860 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 11,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. वहीं, बाल कोपरा की एमएसपी को 10,600 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. इसका मतलब है कि मिलिंग कोपरा की एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल और बाल कोपरा की एमएसपी में 250 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है | इसी प्रकार से सरकार समय-समय पर किसानों के हित के लिए बहुत सारी सरकारी योजनाओं की शुरुआत करती रहती हैजिनमें से एक प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि योजना भी है , और सरकार ने एसपी में बढ़ोतरी करके या साबित कर दिया है कि सरकार किसानों की हित में अच्छा कार्य कर रही है |
कैबिनेट बैठक से किसानों को मिला तोहफा: New MSP For Copra In Cabinet Meeting
स्कीम का नाम | New MSP For Copra In Cabinet Meeting |
लॉन्च किया गया | कैबिनेट बैठक, दिसंबर 27, 2023 |
लागू होने की तिथि | 2024 सीजन से |
लाभार्थी | नारियल किसान नारियल की खेती करने वाले किसान |
लाभ | मिलिंग कोपरा की एमएसपी में ₹300 प्रति क्विंटल की वृद्धि (10,860 रुपये से 11,600 रुपये प्रति क्विंटल) बाल कोपरा की एमएसपी में ₹250 प्रति क्विंटल की वृद्धि (10,600 रुपये से 12,000 रुपये प्रति क्विंटल) बेहतर आय खोपरे की खेती को बढ़ावा खाद्य सुरक्षा मजबूती |
आधिकारिक वेबसाइट | कृषि मंत्रालय की वेबसाइट: http://agricoop.nic.in/ |
किसानों को कैसे होगा फायदा?
खोपरे की एमएसपी बढ़ने से किसानों को कई तरह से फायदा होगा. सबसे पहले, उनकी आय में वृद्धि होगी. एमएसपी वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार खोपरा खरीदने की गारंटी देती है. इसका मतलब है कि किसान अपनी फसल को बाजार में कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर नहीं होंगे. दूसरा, एमएसपी बढ़ने से खोपरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा. किसानों को अब खोपरा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे देश में खोपरे का उत्पादन बढ़ेगा.और तीसरा फायदा, एमएसपी बढ़ने से खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी. खोपरा एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है. एमएसपी बढ़ने से खोपरे की कीमतें स्थिर रहेंगी और आम आदमी को सस्ता खोपरा मिल सकेगा.
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खोपरे की एमएसपी क्या है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदने की गारंटी देती है. इसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाना और उनकी आय को स्थिर करना है. सरकार हर साल 23 फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करती है, जिनमें खोपरा भी शामिल है.
खोपरे के लिए एमएसपी तय करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?
New MSP For Copra In Cabinet Meeting तय करने के लिए सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों पर विचार करती है. CACP एक स्वायत्त निकाय है जो कृषि लागत और कीमतों से संबंधित मामलों पर सरकार को सलाह देता है. CACP उत्पादन लागत, फसल की मांग और आपूर्ति, बाजार के रुझानों आदि को ध्यान में रखते हुए एमएसपी की सिफारिश करती है. सरकार का यह फैसला किसानों के लिए एक सकारात्मक कदम है. इससे खोपरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा, किसानों की आय में वृद्धि होगी और खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी.
मुख्य बिंदु:
- सरकार ने 2024 सीजन के लिए खोपरे की एमएसपी में बढ़ोतरी किया है.
- मिलिंग कोपरा की एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल और बाल कोपरा की एमएसपी में 250 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है.
- इससे लाखों किसानों को फायदा होगा, उनकी आय बढ़ेगी और खोपरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा.
- एमएसपी बढ़ने से खाद्य सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी.
खोपरे की खेती से जुड़ी कुछ चुनौतियां:
हालाँकि एमएसपी बढ़ने से खोपरे की खेती को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इसमें अभी भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं. इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं:
- उत्पादकता में कमी: भारत में खोपरे की औसत उत्पादकता अन्य प्रमुख उत्पादक देशों की तुलना में काफी कम है. सरकार को किसानों को बेहतर बीज, उर्वरक और सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराकर उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.
- प्रसंस्करण की कमी: भारत में खोपरे के प्रसंस्करण की क्षमता अपर्याप्त है. इसका मतलब है कि किसानों को अपनी फसल का एक बड़ा हिस्सा बिना प्रसंस्करण के ही बेचना पड़ता है, जिससे उन्हें कम कीमत मिलती है. सरकार को खोपरे के प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए.
- भंडारण की कमी: भारत में खोपरे के भंडारण की सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं. इसका मतलब है कि फसल कटाई के बाद बड़ी मात्रा में खोपरा खराब हो जाता है. सरकार को किसानों को बेहतर भंडारण सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाने चाहिए.
- मध्यस्थों की भूमिका: खोपरे की मार्केटिंग में बिचौलियों की भूमिका काफी बड़ी है. ये बिचौलिए किसानों से कम दाम पर खोपरा खरीदते हैं और फिर इसे ज्यादा दाम पर बेचते हैं. सरकार को किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए.
सरकार को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि एमएसपी बढ़ोतरी का पूरा लाभ किसानों को मिल सके. इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि देश में खोपरे का उत्पादन भी बढ़ेगा.
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